46 मिनट पहलेलेखक: गौरव तिवारी
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केरल के कन्नूर जिले की 19 साल की एक लड़की ने एक ऑनलाइन पोर्टल से प्रभावित होकर वजन कम करने के लिए उपवास किया। वह वाटर फास्टिंग कर रही थी। उसने लगभग एक साल तक ठीक से भोजन नहीं किया। इसके कारण उसे ईटिंग डिसऑर्डर एनोरेक्सिया नर्वोसा हो गया। इससे उसका शरीर बहुत कमजोर हो गया था और शरीर के अंदर कई ऑर्गन्स भी डैमेज हो गए। इसलिए हॉस्पिटल में इलाज के बावजूद उसकी मौत हो गई।
वजन कम करने के लिए उपवास एक सुंदर प्रक्रिया है, जिसे प्राचीन काल से देश-दुनिया के लोग अपना रहे हैं। अगर उपवास ठीक से किया जाए तो वजन कंट्रोल होने के साथ आत्मानुशासन आता है और मानसिक शांति भी मिलती है।
हालांकि, किसी ऑनलाइन पोर्टल से प्रभावित होकर या किसी सोशल मीडिया का वीडियो देखकर ज्यादातर लंबे समय तक वाटर फास्टिंग जैसे तरीके आपको खतरे में डाल सकते हैं।
इसलिए ‘सेहतनामा’ में आज वाटर फास्टिंग की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-
- यह कैसे काम करता है?
- इसके क्या फायदे हैं?
- यह कब खतरनाक हो सकता है?
वाटर फास्टिंग क्या है?
वाटर फास्टिंग एक खास तरह का उपवास है, जिसमें व्यक्ति किसी भी तरह का भोजन नहीं करता है, सिर्फ पानी पीता है। लोग इसे वजन कम करने के लिए, बॉडी डिटॉक्स करने के लिए या किसी स्वास्थ्य समस्या से निपटने के लिए अपनाते हैं। हालांकि, कुछ लोग आध्यात्मिक या धार्मिक कारणों से भी इसे फॉलो करते हैं।
आमतौर इसे 24 से 72 घंटे तक करने की सलाह दी जाती है। इससे ज्यादा समय तक वाटर फास्टिंग से पहले डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है क्योंकि इससे शरीर बहुत कमजोर हो सकता है।

वाटर फास्टिंग से होती ऑटोफेजी
वाटर फास्टिंग के दौरान भोजन का हर तरह से त्याग कर दिया जाता है। इससे हमारे शरीर में एक खास प्रक्रिया जन्म लेती है, जिसे ‘ऑटोफेजी’ कहते हैं। इस प्रक्रिया से शरीर में सबसे स्वस्थ कोशिकाएं शेष रह जाती हैं और हम पूरी तरह स्वस्थ हो जाते हैं। इस प्रक्रिया को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज में भी इस्तेमाल किया जाता है।

वाटर फास्टिंग के फायदे
वाटर फास्टिंग सबसे ज्यादा बॉडी डिटॉक्स करने में मदद करता है। पाचन से जुड़े सभी अंगों को आराम करने का मौका मिल जाता है। इसके अलावा यह वेट लॉस में मददगार है। अगर इसे ठीक तरह से किया जाए तो शरीर को सेल रिपेयरिंग का मौका मिल जाता है। इसके अलावा यह हार्ट हेल्थ के लिए भी लाभदायक है। सभी फायदे ग्राफिक में देखिए-

वाटर फास्टिंग का सही तरीका क्या है?
डॉ. अंजलि तिवारी कहती हैं कि वाटर फास्टिंग का मतलब है कि उपवास के दौरान सिर्फ पानी पिया जा सकता है। इस दौरान कोई भी एनर्जी देने वाली चीज न खा सकते हैं और न ही पी सकते हैं। इसे सही तरीके से किया जाए तो बहुत फायदेमंद हो सकता है। जबकि, गलत तरीके से कई स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं। इसलिए वाटर फास्टिंग से पहले ये सावधानियां जरूर देखें-
1. फास्टिंग से पहले तैयारी करें
धीरे-धीरे भोजन कम करें: फास्ट शुरू करने से पहले बहुत भारी और ऑयली भोजन न करें। हल्की डाइट लें।
हाइड्रेटेड रहें: फास्टिंग शुरू करने से एक-दो दिन पहले ही ट्रैक करें कि आप पर्याप्त पानी पी रहे हैं या नहीं, शरीर में पानी की कमी न होने दें।
मानसिक रूप से तैयार रहें: लंबे समय तक फास्टिंग से पहले खुद को मानसिक रूप से तैयार करें ताकि कमजोरी महसूस न हो।
2. सही समय चुनें
छोटे फास्ट से शुरुआत करें: अगर पहली बार वाटर फास्टिंग कर रहे हैं तो 12-24 घंटे तक ही करें। बाद में धीरे-धीरे इसे 48-72 घंटे तक बढ़ा सकते हैं।
डॉक्टर से कंसल्ट करें: 72 घंटे से ज्यादा लंबी फास्टिंग से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
कम बिजी दिन चुनें: वाटर फास्टिंग के लिए ऐसा दिन चुनें, जब शरीर को बहुत ज्यादा ऊर्जा की जरूरत न हो। छुट्टी का दिन अच्छा विकल्प है।
3. फास्टिंग के दौरान ध्यान रखें ये बातें
पर्याप्त पानी पिएं: दिनभर में 2-3 लीटर पानी पिएं ताकि शरीर हाइड्रेटेड बना रहे।
बहुत ज्यादा पानी न पिएं: जरूरत से ज्यादा पानी पीने से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का असंतुलन हो सकता है।
आराम करें: फास्टिंग के दौरान ज्यादा मेहनत वाले काम और एक्सरसाइज से बचें ताकि शरीर में ऊर्जा बनी रहे।
शरीर के संकेतों पर ध्यान दें: कमजोरी लगने पर, चक्कर आने पर, बहुत ज्यादा थकान महसूस होने पर उपवास तोड़ दें।
4. फास्टिंग खत्म करने का सही तरीका
हल्की डाइट से शुरुआत करें: उपवास तोड़ते समय फल, सूप, नारियल पानी या दलिया जैसे हल्के और पचने में आसान फूड्स डाइट में शामिल करें।
अचानक भारी खाना न खाएं: उपवास के बाद अचानक बहुत तला-भुना, मसालेदार या भारी भोजन खाने से पाचन में परेशानी हो सकती है। इससे बचें।
धीरे-धीरे रेगुलर डाइट पर लौटें: उपवास के बाद कम-से-कम अगले 1-2 दिन तक हल्का और संतुलित भोजन करें।
वाटर फास्टिंग से जुड़े कॉमन सवाल और जवाब
सवाल: किसे वाटर फास्टिंग नहीं करनी चाहिए?
जवाब: वाटर फास्टिंग हर किसी के लिए सुरक्षित नहीं है। इससे कुछ लोगों को बहुत नुकसान हो सकता है। इसलिए इन लोगों को वाटर फास्टिंग अवॉइड करनी चाहिए-
- जो बहुत कमजोर हैं या जिनका वजन बहुत कम है।
- जिन्हें हार्ट से जुड़ी कोई समस्या है।
- जो डायबिटीज के पेशेंट हैं।
- जिन्हें अक्सर माइग्रेन की समस्या होती है।
- जो ब्लड ट्रांसफ्यूजन करा रहे हैं।
- जो नियमित रूप से कोई दवा खाते हैं।
- प्रेग्नेंट महिलाएं या जो ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं।
सवाल: वाटर फास्टिंग के दौरान रोज कितना पानी पी सकते हैं?
जवाब: आमतौर पर दिनभर में 2-3 लीटर पानी पीना सही माना जाता है। जरूरत से ज्यादा पानी पीने से इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन हो सकता है, जिससे कमजोरी महसूस हो सकती है।
सवाल: क्या वाटर फास्टिंग के दौरान एक्सरसाइज कर सकते हैं?
जवाब: इस दौरान हल्की-फुल्की एक्सरसाइज जैसे योग या स्ट्रेचिंग किया जा सकता है। हालांकि, इंटेंस एक्सरसाइज से बचना चाहिए क्योंकि उपवास के दौरान शरीर में ऊर्जा की कमी हो सकती है।
सवाल: क्या बार-बार वाटर फास्टिंग करना सही है?
जवाब: हां, लेकिन इसके लिए संतुलित और सही तरीका अपनाना जरूरी है।
- इंटरमिटेंट फास्टिंग यानी 12-16 घंटे रोजाना किया जा सकता है।
- हफ्ते में 1-2 बार 24 घंटे की वाटर फास्टिंग कर सकते हैं।
- अगर लंबी फास्टिंग यानी 48-72 घंटे की फास्टिंग कर रहे हैं तो महीने में एक बार ही काफी है। हालांकि, इससे पहले डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करें।
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